हरिद्वार शहर में पॉड टैक्सी कोई जरूरी नहीं है ऐसा कहना है व्यापारियों का
pपौड् टैक्सी कार एक फ्लॉप आईडिया है।
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इसकी बहुत सी वजह है ,खासतौर से हरिद्वार के संबंध में देखें तो जहां लगातार तीर्थ यात्रियों का आवागमन बहुतायत होता रहता है, पौड् टैक्सी कार वास्तव में रोपवे का ही रूप है जिसमें मात्र 5 यात्री ही बैठ सकते हैं । हरिद्वार से तीर्थ में जहां लगातार तीर्थ यात्रियों का ट्रेनों से आवागमन होता है और एक ट्रेन में लगभग 2500 की संख्या में तीर्थयात्री हर की पौड़ी जाने के लिए आते हैं और एक के बाद एक कई ट्रेन है ऐसे में एक ट्रेन के लिए ही 500 पौड़ टैक्सी कार की आवश्यकता पड़ेगी जिसकी एक कार की लोडिंग, अनलोडिंग और गैप मेंटेन करने के लिए 1:00 से 1:30 मिनट का टाइम लगना ही है , ऐसे में 500 पौड् टैक्सी कार के लिए कितना समय लगेगा आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं या यूं समझिए कि स्टेशन से पौड् टैक्सी कार चलेगी जो सप्त ऋषि तक जाएगी और वहां से ज्वालापुर जाएगी फिर वापस स्टेशन पहुंचेगी ,आप समझ सकते हैं 1 से 500 वीं पौड् टैक्सी कार को पूरे रूट को घूम कर आने में कितना समय लगेगा। यह तो मात्र एक ट्रेन का लगने वाले टाइम का आकलन है ,जिसमें घंटों लगने हैं। और यहां हरिद्वार में तो एक के बाद एक ट्रेन आती रहती हैं ऐसे में हजारों लोगों की भीड़ को उनके गंतव्य तक पहुंचाना पौड् टैक्सी कार जैसे खिलौने के बस की बात नहीं है। फिर बस से आने वाले तीर्थयात्री , प्राइवेट कार एवं टैक्सी से आने वाले तीर्थयात्री जोकि हजारों की संख्या में आते हैं उनकी भीड़ को पौड् टैक्सी कार से उनके गंतव्य तक पहुंचाना आपको लगता है संभव भी है ,ना तो यह लोकल लोगों के लिए किसी काम की है और ना ही तीर्थ यात्रियों के लिए ,इसलिए यह आइडिया ही फ्लॉप है। बात रुट डाइवर्ट करने की नहीं है ,पौड् टैक्सी कार का आइडिया ही अन प्रैक्टिकल है। फिर इतिहास साक्षी है की भारी भीड़ में रोप वे का संचालन बंद कर दिया जाता है क्योंकि भारी भीड़ को संभालने में रोप वे सक्षम ही नहीं है। एक ही जगह भारी भीड का इकट्ठा हो जाना क्राउड मैनेजमेंट के नियमों के खिलाफ है। इसमें यात्रियों की जान की सुरक्षा को भी भारी खतरा हो सकता है।
हमने हरिद्वार के विकास के संबंध में माननीय पीयूष गोयल जी को माननीय सांसद रमेश पोखरियाल निशंक जी को , माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी को ,माननीय विधायक मदन कौशिक जी को , माननीय जिलाधिकारी महोदय, माननीय मेलाधिकारी महोदय, हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण को कई योजनाएं बनाकर दी है, जिस पर सैद्धांतिक सहमति होने के बावजूद भी उस पर कोई विचार ना किया जाना बड़े हैरत की बात है।
जिनमें मुख्यतः
1. तुलसी चौक से अलकनंदा घाट वहां से पावन धाम तक एलिवेटेड रोड का निर्माण जो पुरानी टॉय ट्रेन रूट पर बनना है ,जिसमें जगह-जगह पार्किंग की सुविधा की होगी एवं सभी पुलों को जोड़ते हुए बनेगी ,वह योजना बना कर दी है।
2. बिरला पुल के समांतर बने हुए नए पुल के दोनों सिरे को चंडी घाट चौक एवं होटल नवीन रेलवे रोड के समीप जोड़कर एक बड़े चौक का निर्माण किया जाना प्रस्तावित किया गया है जिससे दो समान्तर सड़के तैयार हो जाएंगी जिससे यहां लगने वाला जाम समाप्त हो जाएगा एवं बड़ी राहत इस एरिया के ट्रैफिक को मिल जाएगी। इस पर मात्र 1 से 2 करोड़ का खर्चा भी नहीं है। युद्ध स्तर पर कार्य किया जाए तो 1 हफ्ते 10 दिनों में यह कार्य किया जा सकता है।
3. बिना किसी तोड़फोड़ के देवपुरा से भीमगोड़ा तक कोरिडोर एवं ट्रैफिक संचालन हेतु सड़क ,जिसमें बस अड्डे एवं स्टेशन के लिए सेपरेट कॉरिडोर, 5 बड़ी पार्किंग, एवं जीरोजोन से छुटकारा मिल जाए, ऐसी योजना बनाकर दी है। यह एक नजीर बन सकती है ,जो सभी नगरों के लिए लागू की जा सकती है।
3. चंद्राचार्य चौक से भगत सिंह चौक तक हमेशा होने वाले जलभराव की समस्या से छुटकारा पाने के लिए योजना बना कर दी है।
शहर के विकास के लिए एवं तीर्थ यात्रियों एवं टूरिस्ट को हरिद्वार में किस प्रकार अधिक से अधिक दिनों तक रोका जाए , ऐसी हमने कई योजना बनाकर दी है, एक जागरूक नागरिक एवं जिम्मेदार संगठन होने के नाते हम सरकार एवं प्रशासन को हर संभव मदद करने का प्रयास कर रहे हैं । लेकिन लगता ऐसा है कि प्रशासन की कोई रूचि हरिद्वार के विकास के संबंध में है ही नहीं , बल्कि तोड़फोड़ कर सरकार की नजर में अपनी गुड बुक को और अच्छा करना चाहता है।
वास्तव में हमें पौड् टैक्सी कार की आवश्यकता ही नहीं है बल्कि हमारे द्वारा सुझाए गए एलिवेटेड रूट के साथ मेट्रो /रैपिड ट्रेन की आवश्यकता है ,जिससे हमारी कनेक्टिविटी , सिडकुल, ऋषिकेश, तपोवन , जॉली ग्रांट, देहरादून , लक्सर, रुड़की , सहारनपुर जैसे शहरों के साथ हो सके , जिससे रोजगार एवं पर्यटन के नए अवसर पैदा होंगे , जिससे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को बड़ी सुविधा मिल सकेगी।
आपके विचारों एवं राय का स्वागत है।