डॉक्टरों के आपसी कमीशन मैं चल रही बंदरबांट, सीएमओ के कान पर लगा ताला यह है बीजेपी की सरकार

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मनोज शर्मा

मैं दूसरों की कहानी लिखता हूं लेकिन आज अपनी कहानी आप सब लोगों को बयां करना हो हमारी मेडिकल की दुनिया इतनी गिर चुकी है की जब भी आप देखते होंगे टीवी पर तो शव को बिना पैसे दिए ले जाने से मना करते हैं,

मानवता नाम का शब्द भी नहीं कर्मों से ह, ऐसा ही कुछ मुझे पहले से सुनने में आ रहा और एक घटना मेरे साथ भी घाटी के एक मेरी आदत है की सुबह-सुबह लगभग 4 से 5 के बीच में अच्छी खासी दौड़ लगाना और मैंने वैसे किया अभी लेकिन एक दिन पैर मोड़ते हुए मुझे काफी दर्द महसूस हुआ तभी मैंने अन्य डॉक्टर से सलाह ली तो सब ने बताया कि आप के पैर में लिगामेंट ब्रेक होने की प्रॉब्लम आ गई है आप प्रेस कीजिए सब ठीक हो जाएगा 2 माह पश्चात मैंने धनवंतरी में m.r.i. करवाया जो कि मुझे पहले से मालूम था कि अगर किसी का डॉक्टर का नाम लोगे परिचय लेकर जाएंगे तो उनका कमीशन तय होता है लेकिन मैं किसी का पर्चा लेकर नहीं गया क्योंकि दो हमारा भी चुके थे और मुझे लगने लगा क्यों कुछ कुछ आराम है लेकिन अपनी तसल्ली के लिए मैंने m.r.i. करवाया तो वहां पता चला की उन्होंने अपना समझ के कुछ डिस्काउंट तो दिया लेकिन एक दूसरी डॉक्टर इस्तमैना मिलूंगा उसने साफ बताया कि इसमें कमीशन इस डॉक्टर का है मैंने पूछा वैसे कैसे जबकि मैंने डॉक्टर का नाम नहीं लिया कुछ नहीं बताया कि नहीं इसको डॉक्टर को कमिशन पक्का गया होगा आप देखना आप की रिपोर्ट में डॉक्टर का नाम लिखा होगा वाकई जब मैंने देखा तो डॉक्टर का नाम था मैं खुद आश्चर्य मान गया इस तरह की हरकत है अगर हम जैसे इंसान के साथ हो रही हैं तो यह लोग दूसरे का तो खून ही चूस लेते होंगे और सीएमओ साहब आराम से अपने घर में बिस्तर में अकेला के सो रहे हैं उन्हें मतलब नहीं है सरकार को चाहिए कि इन सब चीजों का एक रेट फिक्स कर दें वरना यह कमीशन खोरी का खेल जिंदगी और लोगों का खून चूसता जाएगा

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