भिखारियों का सरगना गिरफ्तार सरगना के कई साथी फरार

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Sharda news 24 अशोक गिरी

Haydrabad telngana  की राजधानी हैदराबाद में पुलिस ने भीख मांगने वाले रैकेट का पर्दाफाश कर 23 भिखारियों को इसमें से सुरक्षित बाहर निकाला है। पुलिस ने भिखारी के सरगना को भी गिरफ्तार किया है। ये लोग हैदराबाद, साइबराबाद और राचकोंडा के ट्रैफिक जंक्शन पर भीख मांगकर हर महीने डेढ़ से दो लाख रूपये महीना कमा रहे थे।

पुलिस ने इस मामले में भिखारियों के मुखिया अनिल पवार को गिरफ्तार कर लिया है, जो कर्नाटक के गुलबर्गा के फतेह नगर का रहने वाला है। पुलिस ने बताया कि इस मामले में रामू, रघु, धर्मेंद्र सहित कई लोग फरार हैं। ये लोग भी गुलबर्गा के ही रहने वाले हैं। इन लोगों का ताड़बुन से हाईटेक सिटी में ट्रैफिक सिग्नल्स पर नेटवर्क फैला था। ये लोग गरीब महिलाओं, नाबालिग बच्चों, विधवाओं और शारीरिक रूप से विकलांगों का शोषण कर रहे थे।

पुलिस के मुताबिक अनिल पवार शहर के विभिन्न चौक पर बच्चों को नशीले पदार्थ सप्लाई करता था। इसके बाद ये बच्चे राहगीरों से सहानुभूति पाकर उनसे भीख मांगते थे। पुलिस ने भिखारियों को अलग-अलग स्थानों पर ले जाने के लिए इस्तेमाल किए गए 8 दोपहिया वाहनों को जब्त कर लिया है।

हैदराबाद पुलिस के मुताबिक भीख मांगने वाला परिवार ट्रैफिक सिग्नल्स पर भीख मांगकर हर दिन चार से आठ हजार रूपये तक कमाते हैं। ये लोग यहां दूसरों को भीख मांगने नहीं देते। इनके परिवार में पति, पत्नी, चार-पांच बच्चे और बुजुर्ग होते हैं। इन लोगों में जब भी झगड़ा होता है तो बुजुर्ग दखल देते हैं। इन लोगों के बीच अलग-अलग समय और ट्रैफिक सिग्नल्स तय कर समाधान निकाला जाता है।

पुलिस ने बताया कि भीख मांगने वाले लोग सुबह 10 बजे ऑटो रिक्शा में आते हैं और शाम को अपना काम खत्म कर ऑटो रिक्शा से ही अपने घर लौटते हैं। इस दौरान वह अपने साथ बिरयानी और शराब लेकर जाते हैं। इसमें से कुछ लोग ब्याज पर पैसे देने का भी काम करते हैं। यह उनका साइड बिज़नेस है। इससे भी वह अच्छी कमाई कर लेते हैं।

भीख मांगकर होने वाली कमाई को देखकर कुछ बेईमानों ने संगठित माफिया के तौर पर काम करना शुरू कर दिया है। ये लोग शारीरिक रूप से दिव्यांगों, बच्चों, बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं को एक तरह से काम देने लगे। दिनभर भीख मांगकर होने वाली कमाई में से प्रत्येक व्यक्ति को 200 रूपये देते हैं।

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