कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर इस साल भी संशय बरकरार, विदेश मंत्रालय से अब तक नहीं मिली सूचना

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मनोज शर्मा 

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए हर साल यह यात्रा संचालित की जाती है. हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से वर्ष 2020 से यह यात्रा स्थगित है.

कैलाश मानसरोवर यात्रा के बारे में इसे संचालित करने वाली नोडल एजेंसी को अभी तक विदेश मंत्रालय से कोई सूचना नहीं मिली है, जिसके कारण लगातार चौथे साल इस वार्षिक तीर्थयात्रा के संचालन पर संशय बरकरार हैं. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए हर साल यह यात्रा संचालित की जाती है. हालांकि, कोविड-19 महामारी की वजह से वर्ष 2020 से यह यात्रा स्थगित है.

यात्रा की नोडल एजेंसी कुमाऊं मंडल विकास निगम के अधिकारी ए.पी. वाजपेयी ने बताया, ‘‘विदेश मंत्रालय से अब तक यात्रा के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है और न ही उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर कोई जानकारी उपलब्ध है. पिथौरागढ़ की जिलाधिकारी रीना जोशी ने भी इस बात की पुष्टि की कि केंद्र सरकार से तीर्थयात्रा के संचालन के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है.वाजपेयी ने कहा कि अगर सब कुछ सामान्य होता तो अब तक कैलाश-मानसरोवर यात्रा की तैयारियों के संबंध में कम से कम दो बैठकें जिसमे से एक नई दिल्ली और दूसरी पिथौरागढ़ में हो चुकी होतीं. इसके अलावा, यात्रा के लिए ऑनलाइन आवेदन भी मंगवा लिए जाते. कैलाश-मानसरोवर यात्रा हर साल जून के पहले सप्ताह में शुरू होती है और इसके लिए तैयारियां तीन-चार माह पहले ही शुरू हो जाती हैं. कैलाश-मानसरोवर यात्रा के विकल्प के तौर पर भारतीय सीमा के अंदर ही पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में स्थित आदि कैलाश की यात्रा की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा, पिछले कुछ सालों में कैलाश-मानसरोवर यात्रा नहीं हो पाने के चलते हमने आदि कैलाश के लिए मार्ग विकसित किए हैं.

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