चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने मेयर एवं पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इसके बाद से राजनितिक दलों में घमासान हैं।

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अशोक गिरी हरिद्वार

अबकी बार हरिद्वार नगर निगम चुनाव में यह दिलचस्प देखने को मिला है की भाजपा पार्षदों की लिस्ट देखने से ऐसा लगता है की जितने भी पुराने पार्षद कार्यरत थे उन्हे  ही दोबारा से पार्टी ने टिकट देकर खड़ा kiya जो नए लोग नेता लोग लाइन में खड़े थ  वह लाइन में ही खड़े रह गए काफी आक्रोश है नए पुराने नेताओं में  चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने मेयर एवं पार्षद प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इसके बाद से राजनितिक दलों में घमासान हैं। जिनका टिकट नहीं हो पाया हैं उनकी नाराजगी अब जबरदस्त तरीकेे से बाहर आ रही है। भाजपा और कांग्रेस में बड़े नेता असंतुष्टों के निशाने पर हैं।

दोनों ही दलों के कुछ असंतुष्टों ने निर्दलयी लड़ने का एलान कर दिया है तो कुछ दावेदार दल बदल की तैयारी में हैं।

चर्चा ये भी है कि अभी कुछ वार्डों में टिकट बदले जा सकते हैं।यह स्थिति कांग्रेस में अधिक संभावित दीख रही है। स्वयं विधायक रवि बहादुर का कहना है कि सूची में सभी के द्वारा भेजे गए नामों का समावेश नहीं किया जा सका है। जिससे असंतोष और बदलाव की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं।

हालांकि अब अगर बदलाव होगा तो भी असंतोष का बढ़ना तय है। भाजपा ने कुछ वार्डों में पार्षदों को दोहराया है तो कुछ में निवृत पार्षदों का पत्ता काट दिया है।इसका ठीकरा हरिद्वार के एक बड़े भाजपा नेता के सिर फोड़ा जा रहा है। इसलिए यह साफ है कि भाजपा कांग्रेस को निगम चुनाव में असंतुष्टों के गुस्से से जूझना पड़ेगा। जिसका असर इन दलों के अनुमानित चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है। अब आगे देखना यह हैै कि निर्णय निर्णायक क्याा होगा

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